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History of the Indian flag | कैसे बना तिरंगा

कैसे बना तिरंगा History of Indian flag
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag 

कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag 

यहां राम बसे रमजान बसे हर घर में बस्ती कुर्बानी;
यहां घाट घाट पर बदले बोली 4 घाट पर बदले पानी।
दोस्तो हमारा देश, हमारा इंडिया, हमारा भारत, हमारा हिंदुस्तान, पूरी दुनिया में जाना जाता है अपनी Diversity के लिए हम हर चीज से Diversity हैं कल्चर से Diversity हैं लैंग्वेज से Diversity हैं कास्ट से Diversity हैं;
आप अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक चले जाओ आपको नजर आएगा Diversity लेकिन इतनी Diversity के बावजूद इतनी रीता के बावजूद हम सब अपने-अपने स्टेट में अपने-अपने शहर में अपने-अपने गांव में हिंदुस्तानी ही कहलाते हैं और हम हिंदुस्तानी को जो चीज एक करती है वह है हमारा झंडा हमारा तिरंगा|
लेकिन आज के इस तिरंगे की कहानी शुरू होती है 1857 से 1857 में से पहले अलग-अलग राजाओं के अलग-अलग झंडे थे लेकिन 1857 के बाद जब पूरे देश का राज ब्रिटिशर्स के पास आ गया तो उन्होंने पूरे देश का एक झंडा होने पर जोर दिया जो झंडा ऐसा था।
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
इस झंडे में आप देखिए लाल कलर के झंडे में ऊपर यूनियन जैक का साइन है और बगल में एक स्टार लेकिन यह झंडा उनका था इसमें अपनापन नहीं था इसलिए 1905 में बंगाल पार्टीशन के बाद यह झंडा बना ।

कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
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इसको वंदे मातरम फ्लैग भी कहते हैं यह एक शुरुआत थी स्वदेशी वूमेन की और अंग्रेजों के खिलाफ यह एक कोशिश थी अलग-अलग धर्म अलग-अलग जातियों को साफ करने की। यह जो वंदे मातरम फ्लैग था यह कोलकाता में लांच हुआ था आप इसमें देख सकते हैं इसमें सूरज है, चांद है, वंदे मातरम लिखा है, और यह 8 गुलाब के फूल है यह आठ राज्यों को दर्शाते हैं इस झंडे में हरा रंग इस्लाम गोल्ड बुद्घिज़म और  सिखिज्म लाल कलर हिंदुइजम।
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
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फिर 1907 में यह झंडा आया और इस झंडे की खास बात है यह पहला हिंदुस्तान का झंडा है जो विदेश में लहराया जी हां 22 अगस्त 1907 Stuttgrat. Germany में जी हां मैडम भीकाजी कामा ने इस हिंदुस्तान के झंडे को विदेश में लहराया था इसको इसीलिए बर्लीन कमेटी फ्लैग भी कहते हैं इस झंडा को 3 लोगों ने मिलकर डिजाइन किया था मैडम भीकाजी कामा वीर शिवाकार और कृष्णा वर्मा।
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
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फिर 1917 में जब डोमिनियन स्टेटस की मांग चल रही थी बाल गंगाधर तिलक ने जो होम रूल लीग बनाई थी उसके द्वारा इस झंडे को एडिट किया गया था
अब इस झंडे में देखो लाल स्टेप्स है हरीश चिप्स है स्टार है और साथ में सप्त ऋषि है और कॉर्नर में यूनियन जैक भी है इस वजह से इस झंडे को पापुलैरिटी नहीं मिली थी क्योंकि एक हवा चल पड़ी थी की पूरी आजादी चाहिए सिर्फ डोमिनेंस स्टेटस नहीं चाहिए|
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
अब चलते हैं 1921 में महात्मा गांधी का कहना था रेड कलर हो गया हिंदुस का और सिखों का ग्रीन कलर हो गया इस्लाम का लेकिन इस देश में बहुत सारी माइनारटीज हैं बहुत सारे और धर्म है उनको इग्नोर नहीं किया जा सकता इसलिए इस झंडे में वाइट कलर भी आ गया; व्हाइट कलर, रेड कलर, ग्रीन कलर, तीनों कलर इस झंडे में आ गए और साथ में चरखा भी आ गया|
जो इकोनामिक के लिए काम करके मेहनत करके आगे बढ़ेंगे उसके लिए चरखा आ गया इस चरखे को तीनों रंगों में शामिल किया गया सबको साथ लेकर हम आगे बढ़ेंगे काम करेंगे इस देश को आगे बढ़ाएंगे यह झंडा बेस था आयरलैंड के झंडे से क्यूंकि आईलैंड भी उस वक्त अपने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहा था और हम भी लड़ रहे थे ब्रिटिशर के खिलाफ, हालांकि कांग्रेस ने इस झंडे को कभी ऑफिशियल नहीं माना लेकिन यह झंडा उस टाइम पर बहुत पॉपुलर हुआ था।
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
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अब 1931 में बहुत से लोगों का यह कहना था के धर्म के साथ झंडे को लिंक ना किया जाए किस धर्म को डालना है किस धर्म को हटाना है उससे अच्छा है इसको धर्मों के बिना रखा जाए तब वह कलर्स बने जो कलर हम आज यूज़ करते हैं आज भी हमारे तिरंगे में लहराते हैं सैफरन वाइट ग्रीन सैफरन हिम्मत का व्हाइट क्लॉथ का ऑनेस्टी का सच का ग्रीन ग्रोथ का आगे बढ़ने का कोशिश का मेहनत का।
कैसे बना तिरंगा History of the Indian flag
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और फिर 1947 में जब हम आजाद हुए तब डॉ: राजेंद्र प्रसाद के तेहत एक कमेटी बनाई गई जिसको डिसाइड करना था कि हमारा नेशनल फ्लैग क्या होगा उन्होंने 1931 में जो फ्लैग बना था कांग्रेस के द्वारा उसको एडिट किया उस मैसे चरखा हटाकर चकरा लगा दिया, इसके एक दो कारण थे कुछ लोगों का कहना था कि चरखा बैकवर्ड दिखाता है, लेकिन हमारा देश अब आगे जाएगा फॉरवर्ड होगा और कुछ लोगों का कुछ पॉलीटिकल पार्टीज का यह कहना था कि हम एक पॉलीटिकल पार्टी के झंडे को पूरे देश का झंडा नहीं बना सकते इसमें कोई चेंज जरूर होना चाहिए इसलिए अशोक चक्र उसके अंदर आ गया और बन गया हमारा प्यारा तिरंगा।

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और क्या आपको यह पता है देश के नागरिकों को इंडियन सिटीजंस को देश का झंडा इस तरह से लहराना इस तरह से उसको अपने घर में रखना या गाड़ी पर लगाना अलाउ नहीं था जैसे आजकल आप देखते हो 1992 में नवीन जर्नल ने अपनी फैक्ट्री में झंडे को लहराया जब उनको मना किया किया गया तो उन्होंने कोर्ट में केस किया 10 साल केस चला 2001 में वह केस जीते 26 जनवरी 2002 से यह गवर्नमेंट ने अलाव कर दिया के पूरी मान मर्यादा के साथ रूल को फॉलो करते हुए कोई भी कभी भी देश का झंडा लहरा सकता है।
दोस्तों हम लोग देखते हैं कि 26 जनवरी और 15 अगस्त को लोग किस तरह शान व सौकत से झंडा लहराते हैं और झंडे को खरीदते हैं हमारा तिरंगा सिगनल्स पर मिलता है शॉप पर मिलता है हर कोई देश भक्ति में मगन होता है और वही अगले दिन झंडे सड़कों पर गलियों में नालियों में गिरे हुए मिलते हैं और यह देख कर के बहुत दुख: होता है|
इस झंडे के पीछे लाखों लोगों की कुर्बानी है कई लोगों ने जान की बाजी लगा दी ताकि हम आजाद हो जाए और इस झंडे को लहरा सके और 27 जनवरी को इस झंडे को संभाल कर रखने की औकात नहीं है तो प्लीज 26 जनवरी को इसको मत खरीदिए हो सकता है किसी के लिए इसकी कीमत सिर्फ ₹10 ₹50 ₹100 हो लेकिन मेरे लिए और मेरे जैसे लाखों करोड़ों लोगों के लिए यह अनमोल है और अनमोल रहेगा|
आप सबको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं हैप्पी रिपब्लिक Day।

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